पाक माह रमजान में बरसती है खुदा की रहमतें

ख़तौली: कोतवाली के गांव भूड़ निवासी समाज सेवक आसिफ मलिक ने रमजान की फजीलत के बारे में बताया कि पाक माह रमजान शरीफ का महीना बरकतों वाला महीना है। इस महीने में नेकियों का सवाब बढ़ जाता है। इस पाक महीने में नफली इबादत फर्ज के बराबर है। एक फर्ज का सवाब सत्तर दर्जे से बढ़ाकर दिया जाता है। रोजा इंसान अल्लाह की रजा के लिये रखता है। इसी महीने में पवित्र किताब कुरान शरीफ नाजिल हुई थी। जिसकी तिलावत करने पर सत्तर हजार नेकिया मिलती है। रोजा नफ़्स पर कंट्रोल करने का प्रयास है। रोजा रखने से इंसान की रूह की सफाई होती है। रोजा गरीबो की हमदर्दी का जज्बा पैदा करता है। रोजा सेहत के लिये ठीक है। और रोजा बुराइयों से रोककर दोजख की ढाल है। इसी पाक महीने में अपने चालीसवे हिस्से में से जकात देकर गरीबो की मदद करनी चाहिये। रमजान में रोजा रखना फेज है। अगर किसी ने बिना वजह रोजा नही रखा तो सारी जिंदगी भी रोजे रखेगा तो इस पाक महीने के रोज़ो की भरपाई नही होगी। और उसे रमजान के रोज़ो का सवाब नही मिलेगा। आजकल पूरी दुनिया कोरोना वायरस की महामारी से जंग लड़ रही है। जिसके कारण पूरे भारत लॉक डाउन चल रहा है। ऐसे समय मे हमें अनुशाशन में रहना है। और लॉक डाउन का पालन कर अपने घरों में ही इबादत करनी है। घर से बाहर निकलने पर मास्क लगाकर निकले और भीड़ से बचे रमजान के इस पाक महीने में घर मे इबादत करे और इस गम्भीर बीमारी के खात्मे के लिये अल्लहा से दुआ करे।